वातहारी वती 100% आयुर्वदिक
इस जड़ी बूटी के सेवन करने से गठिया, कमर दर्द, जोड़ो का दर्द, घुटनो का दर्द, सायटिका और सभी प्रकार के जोड़ो के दर्द से छुटकारा मिलता है (पूर्णतः आर्युवेदिक जुड़ी - बूटी है ) एवं इसका कोई साइड इफ़ेक्ट नहीं हैं |
खाने की विधि :
इस जड़ी बूटी को खाना खाने के बाद दूध या पानी के साथ सुबह शाम ले , गोली को चबाकर या तोड़ कर खाये
जड़ी - बूटी खाने के नियम : ज्यादा दर्द होने पर दो - दो गोली सुबह शाम दूध या पानी के साथ ले | (खाना खाने के बाद)
सामग्री :
मोचरस - 30mg, गेदान्ति भस्म - 35mg, आरुग - 55mg, योगराज गुग्गुल - 105mg, मीठा सुरजन - 55mg, सोंठ - 105mg, अश्वंगधा - 80mg, रासना - 80mg, कामेल - 65mg, कोलोनजी - 17mg, जैतुम - 17mg, जैफला - 10mg, सीधसालाजीत - 105mg.
परहेज एवं नियम :
1. डालडा, आचार, मिर्च, तला हुआ पदार्थ, खट्टा आदि का सेवन नही करे।
2. इस जड़ी बूटी खाने के क्रम मे दर्द से संबंधित कोई भी दवा नही खाना है।
3. पैकेट को खोलने के बाद गोलियों को एयर टाइट डब्बी मे रखे।
4. पैकेट को सूखे स्थान पर रखे।
5. यह जड़ी बूटी खाना खाने के बाद सेवन कर सकते है।
6. यह जड़ी बूटी कम से कम तीन महीने तक खाये।
7. गोली को चबाकर या तोड़ कर खाये।
8. इस जड़ी बूटी को खाने के बाद और कोई भी दवा दो घंटे बाद खा सकते है।
9. यह जड़ी बूटी लकवा वाले भी खा सकते है। अगर एक हफ्ते मे कुछ भी फायदा हो तो दोबारा इस्तेमाल करें।
10. जड़ी बूटी खाने के क्रम मे प्रेयेक 3 माह बाद 4-6 दिन का गैप करना जरूरी है।
फायदे :
वातहारी वती निचे लिखे गए रोगो एवं लक्छण को दूर करता है , निचे रोगो व उनके के लक्छणो को बताया गया है वातहारी वती इन सभी पे असर दार तरीके से काम है
गठिया : रोगी के एक या कई जोड़ों में दर्द, अकड़न या सूजन आ जाती है। इस रोग में जोड़ों में गांठें बन जाती हैं और शूल चुभने जैसी पीड़ा होती है, इसलिए इस रोग को गठिया भी कहते हैं।
कमर दर्द : कमर दर्द में सामान्य तौर पर पीठ के निचले हिस्से में दर्द होता है, एक खिंचाव या अकड़न महसूस होती है। यह दर्द आमतौर पर गंभीर नहीं होता और कुछ दिनों, हफ्तों या फिर महीनों में ठीक हो जाता है। लेकिन तकलीफ उतने समय तक सेहनी पड़ती है। कमर की बनावट में मांसपेशियां, हड्डियां, डिस्क, जोड़, लिगामेंट, नसें आदि शामिल हैं।
जोड़ो का दर्द : जोड़ों में दर्द कई कारणों से हो सकता है जैसे ऑस्टियोआर्थराइटिस, रूमेटोइड गठिया, गठिया, बर्साइटिस, टेंडिनाइटिस या तनाव, चोट जो जोड़ों के आसपास लिगामेंट को प्रभावित करती है। यह शरीर के किसी भी हिस्से में हो सकता है, लेकिन विशेष रूप से यह घुटनों, कंधे और कूल्हों (shoulders and hips) को प्रभावित करता है।
घुटनो का दर्द : बढ़ती उम्र में घुटनों में दर्द होना एक आम समस्या है, आमतौर पर घुटनों का दर्द गठिया या आर्थराइटिस बीमारी के कारण ही होता है। शरीर के जोड़ों में सूजन उत्पन्न होने पर गठिया रोग होता है या जोड़ों में उपास्थि (कोमल हड्डी) भंग हो जाती है।
सायटिका : साइटिका नसों में होने वाला ऐसा दर्द है जो कमर के निचले हिस्से से शुरू होकर पैरों के नीचे तक जाता है। यह कोई रोग नहीं बल्कि सैक्रोलाइटिस, डिस्कप्रोलेप्स, स्पाइनल इंफेक्शन आदि रोगों का लक्षण हो सकता है। कारण : अधिक मेहनत करने या भारी वजन उठाने से यह समस्या होती है।
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